जब हम बुरी आदतों में पड़ जाते है तो शुरू -शुरू में उन्हें दूर करना आसान होता है परन्तु जब हम उन आदतों को छोड़ते नहीं तो उनकी जड़े बोहोत गहरी हो जाती है और फिर उन आदतों को उखाड़ना बोहोत ही कठिन होता है।
एक राजा का बीटा बोहोत ही बुरा और दुनिया की सभी बुरी आदतों का शिकार था। राजा इन कारड़ो से बोहोत दुखी रहता था। एक दिन परेशां राजा ने अपने लड़के को गुरु के पास उसकी आदतों को सुधरने के लिए भेज दिया।
गुरु बड़े प्रेम से उसको शिक्षा देने एक जंगल में ले गया जहाँ उन्होंने चार पौधे दिखाय जिनमे एक पौधा एक फुट का था ,दूसरा चार फुट का ,तीसरा आठ फुट का और चौथा सोला फुट का था। गुरु ने कहा ---बेटे तुम पहले पौधे को उखाड़ कर दिखाओ। लड़के ने उस पौधे को पकड़ कर आसानी से उखाड़ दिया।
गुरु बोले ---अब तुम दूसरे पौधे को उखाड़ो। लड़के ने उस पौधे को भी थोड़ा ज़ोर लगाकर उखड दिया क्यूंकि वह चार फुट का था।
गुरु ने फिर कहा-----शाबाश , अब तीसरे को उखाड़ो। लड़के ने पहले दोनों पोधो को एक हाथ से उखाड़ डाला था, अब तीसरे को उखाड़ने में उसे दोनों हाथ लगाने पड़े और काफी खींचा तानी करके बड़ी मेहनत के साथ उखड सका।
गुरु ने उसकी पीठ थपथपा कर कहा----बोहत अच्छा , अब तुम चौथे पौधे को भी उखाड डालो। लड़के ने चौथे को दोनों हाथ से कसकर पकड़ा और उखाड़ने के लिए खूब ज़ोर लगाया परन्तु पौधा सोलह फुट का होने के कारड, उसे किसी भी प्रकार से उखाड़ नहीं सका।
इस पर गुरु ने समझा कर कहा ----बेटे जब हम किसी बुरी आदत में पड़ते है तो शुरू- शुरू में उसको उखाड़ फेकना आसान होता है, परन्तु जब समय बोहोत लम्बा हो जाय, उसकी जड़े बोहोत गहराई तक फेल जाय और जो आदत हमारे जीवन का हिस्सा बन जाय तब उसे छोड़ना बोहोत ही मुश्किल हो जाता है इससे अच्छा तो यहीं है की ऐसी आदतों से दूर ही रहो और अगर किसी कारड से जड़ बनाने लग जाय तो समय से पहले ही उखाड़ फेको।
राजा के बेटे को अब ये बात आसानी से समझ गयी थी। उसी दिन से उसने अपना स्वभाव और आदत बदल दी।
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